नई दिल्ली : रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) की ओर से विकसित की गई कोरोना रोधी दवा 2-डीजी की पहली खेप सोमवार को जारी कर दी गई। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इसे आत्मनिर्भरता की दिशा में मील का पत्थर बताया है। वहीं डीआरडीओ के चेयरमैन जी सतीश रेड्डी (G Satheesh Reddy) ने बताया कि फिलहाल इस दवा का सीमित संस्थानों में इस्तेमाल किया जाएगा। मौजूदा वक्त में यह दवा एम्स, सेना के अस्पतालों और जरूरत पड़ने पर दूसरे संस्थानों को उपलब्ध कराई जाएगी।
डीआरडीओ के चेयरमैन ने यह भी बताया कि यह दवा जून के पहले हफ्ते से देश के सभी अस्पतालों में उपलब्ध हो पाएगी। इस दवा का उत्पादन चल रहा है और दवा की दूसरी खेप मई के अंतिम हफ्ते के आसपास आएगी। उन्होंने बताया कि दूसरे बैच में उत्पादन अवधि बढ़ाई जाएगी और जून के पहले हफ्ते से इसे देश के सभी अस्पतालों और अन्य चिकित्सा सुविधाओं के लिए उपलब्ध कराया जाएगा।
उन्होंने बताया कि यह दवा 2-DG सीधे संक्रमित कोशिकाओं पर काम करती है। यह दवा सीधे कोशिकाओं में अवशोषित हो जाती है। यह दवा वायरस को बढ़ने से रोकने के साथ ही अन्य स्वास्थ्य कोशिकाओं में जाने से रोकती है। यह प्रतिरक्षा तंत्र पर भी काम करती है जिससे रोगी तेजी से ठीक हो सकता है। दवा को डीआरडीओ की अग्रणी प्रयोगशाला नाभिकीय औषधि एवं संबद्ध विज्ञान संस्थान (इनमास) ने हैदराबाद के डॉक्टर रेड्डीज प्रयोगशाला के साथ मिलकर विकसित किया है।
वहीं इस दवा को जारी करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि 2-डीऑक्सी-डी-ग्लुकोज (2-डीजी) दवा कोरोना के मरीजों के उपचार के लिए उम्मीद की किरण ले कर आई है। यह देश के वैज्ञानिक कौशल का अनुपम उदाहरण है। वहीं रक्षा मंत्रालय के मुताबिक 2-डीजी के क्लीनिकल परीक्षण में पता चला है कि इससे अस्पताल में भर्ती मरीजों की ऑक्सीजन पर निर्भरता को कम करने में मदद मिलती है। यही नहीं इस दवा से मरीज जल्दी ठीक होते हैं। इस दवा के आपातकालीन इस्तेमाल को भारत के औषधि महानियंत्रक (डीजीसीआई) की ओर से मंजूरी मिल चुकी है।
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