जालंधर : कोरोना महामारी के वक्त में जालंधर में सिविल अस्पताल प्रबंधन की बड़ी चूक सामने आई है। यहां एक संदिग्ध कोरोना मरीज की पत्नी 3 दिन से पति की लाश लेने के लिए भटकती रही। कभी उसे मुर्दाघर की पर्ची लाने को कहा जाता तो कभी PPE किट के लिए दौड़ाया जा रहा था। हार कर वह मुर्दाघर के बाहर बैठकर रोने लगी तो मीडिया तक बात पहुंची। लापरवाही की पोल खुलने के बाद भी अफसर अपनी घटिया कारगुजारी को दबाते रहे। हालांकि बाद में उसे लाश देकर भेज दिया गया।
अड्डा होशियारपुर चौक की रहने वाली सुमन ने बताया कि मेरे पति जतिंदर को हलका बुखार हुआ। इसके बाद शुगर बढ़ गई।5 मई को वो पति को अस्पताल ले आई। यहां डॉक्टरों ने हाथ भी नहीं लगाया और कहा कि इनकी मौत हो चुकी है, घर ले जाओ। वो घर कहां ले जाती, इसलिए लाश वहीं मुर्दाघर में रखवा दी। उनका कोविड टेस्ट नहीं कराया लेकिन लक्षण वैसे ही थे। डॉक्टर भी यही बात कहते रहे।
इसके बाद से वह शुक्रवार तक लाश लेने के लिए चक्कर काट रही है। उसकी बेटी भी साथ आई। उसने स्टाफ से पूछना चाहा तो उनकी मदद के बजाय बेटी से मिसबिहेव किया गया। इस दौरान उन्हें कभी मुर्दा घर की पर्ची और कभी PPE किट के लिए दौड़ाया गया। उनके पास संस्कार तो दूर, एंबुलेंस में लाश ले जाने के भी पैसे नहीं थे। उन्होंने लोगों से मदद मांगनी चाही तो उनका दुख बांटना तो दूर, लोगों ने उन्हें देख अपने घर के दरवाजे भी बंद कर लिए।
वहीं, अस्पताल प्रबंधन ने तर्क दिया कि महिला के पास लाश को ले जाने के लिए एंबुलेंस के पैसे नहीं थे, उन्होंने वह भी दिलवाए। हालांकि जब वहां कुछ अफसरों व डॉक्टरों से पूछने की कोशिश की गई तो महिला की परेशानी पर जवाब देने के बजाय उन्होंने एमरजेंसी सायरन बजा दिया।
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