संगरूर : 2009 बैच के आइएएस अधिकारी रामवीर सिंह। संगरूर में जिला उपायुक्त (डीसी) तैनात रामवीर सिंह आज भी जमीन से जुड़ा रहना पसंद करते हैं। प्रशासनिक जिम्मेदारियों के साथ-साथ वह खेतों में काम करते हुए देखे जा सकते हैं। बकौल रामवीर सिंह, ”इंसान बेशक कामयाबी की सीढ़ियां चढ़कर किसी भी मुकाम पर पहुंच जाए, लेकिन अपनी विरासत बचाने और अपना अस्तित्व बनाए रखने के लिए उसे हमेशा अपनी जमीन और परंपरा से जुड़े रहना चाहिए। खेती को अलविदा कहकर बेशक आज युवा पीढ़ी विदेश का रुख कर रही है, लेकिन अपनी मिट्टी व खेती को बचाकर रखना हर किसान परिवार के बेटे का फर्ज है।”
बैसाखी पर खेतों में सोने की तरह लहरा रही गेहूं की फसल की कटाई का समय है तो रामवीर भी दरात (दाती) लेकर व चेहरे पर सूती कपड़ा बांधकर मजदूरों के साथ गेहूं की कटाई करने में जुट हुए हैं। इतना ही नहीं, संगरूर स्थित सरकारी रिहायश पर गायों का दूध निकालने से लेकर गेहूं की फसल की संभाल तक वह खुद कर रहे हैं। यह कार्य करने के पीछे उनका एक ही उद्देश्य है कि नई पीढ़ी अपने परिवार की परंपरा से जुड़ी रहे। डीसी रामवीर कहते हैं कि वह एक किसान परिवार से हैं, जिसे वह कभी नहीं भूलते। वह आज भी अपने परिवार समेत खेतों में काम करते हैं।
रामवीर सिंह ने बताया कि दिन का समय दफ्तरी कामकाज में निकलता है। इसके बाद अनाज मंडी में गेहूं की चल रही खरीद का जायजा लेने के लिए निकल पड़ते हैं। शाम को घर लौटने के बाद वह सरकारी रिहायश परिसर स्थित खेत में निकल पड़ते हैं। यहां गेहूं की फसल ही नहीं, बल्कि सब्जियां व फल की भी काश्त होती है, जिनकी कांट-छांट करने सहित इनकी संभाल में लग जाते हैं।
रिहायश के एक हिस्से में दुधारू पशु रखे हुए हैं, जहां से वह सुबह उठकर रोजाना गायों का दूध निकालते हैं। इससे न केवल उन्हें मानसिक सुकून मिलता है, बल्कि उन्हें इस बात की भी खुशी है कि वह अपने बच्चों को अपनी मिट्टी से जोड़ने में सफल हुए हैं।
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